Taking care of your mental health is as important as taking care of your physical health. Here are some simple but effective ways to support your mental health.
अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना। आपके मानसिक स्वास्थ्य को समर्थन देने के लिए यहां कुछ सरल लेकिन प्रभावी तरीके दीये गये हैं।
Practice Self-Care: स्व-देखभाल का अभ्यास करें:
Invest time for activities that bring you joy and relaxation. Get involved in some interests, whether it’s reading a book, taking a walk in nature, practicing mindfulness. Prioritize self-care activities, which recharge your mind and reduce stress.
उन गतिविधियों के लिए समय निकालें जो आपको खुशी और आराम दें। चाहे वह किताब पढ़ना हो, प्रकृति में सैर करना हो, माइंडफुलनेस / सचेतनता का अभ्यास करना हो। किसी अभिरुचि में शामिल होना हो। स्व-देखभाल गतिविधियों को प्राथमिकता दें। जो आपके मन को रिचार्ज करती हैं। तनाव को कम करती हैं।
Prioritize Sleep: नींद को प्राथमिकता दें :
Aim for 6-8 hours of quality sleep every single night. Create a bedtime routine that promotes relaxation, such as turning off the TV screen an hour before bed, dimming the lights and preparing your brain for restful sleep. Practice deep breathing. Practice Shavasana (Yoga: Corpse Pose) or meditation (Yoga: Dhyan).
हर एक रात 6-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद का लक्ष्य रखें। सोते समय एक ऐसी दिनचर्या बनाएं जो विश्राम को बढ़ावा दे, जैसे सोने से एक घंटे पहले टीव्ही स्क्रीन बंद करे, रोशनी कम करे और अपने दिमाग को आरामदायक नींद के लिए तैयार करे. गहरी सांस लेने का अभ्यास करे। शवासन या ध्यान का अभ्यास करे।
Stay Active: सक्रिय रहिये:
Regular exercise has many mental health benefits, including reducing stress, improving mood and increasing self-esteem. Find activities you enjoy, whether it’s going for a walk, practicing yoga or dancing to your favorite music. You should aim for moderate exercise, at least 45 minutes of fast walking (you do not have to run or walk slowly) on most days of the week.
नियमित व्यायाम से मानसिक स्वास्थ्य को कई लाभ होते हैं, जिनमें तनाव कम करना, मूड में सुधार और आत्म-सम्मान बढ़ाना शामिल है। ऐसी गतिविधियाँ खोजें जिनमें आपको आनंद आता हो, चाहे वह टहलने जाना हो, योगाभ्यास करना हो, या अपने पसंदीदा संगीत पर नृत्य करना हो। सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 45 मिनट फास्ट वाकिंग ( आपको ना धीमी दौड़ लगानी है और ना ही धीमे टह्लना है।) आप मध्यम व्यायाम करने का लक्ष्य रखें।
Connect With People: लोगों को जोड़ें:
Develop meaningful and positive relationships with friends, family and community members. Share your thoughts and feelings and be open to giving and receiving support. Social support is essential for resilience and emotional well-being.
मित्रों, परिवार और समुदाय के सदस्यों के साथ सार्थक एवं सकारात्मक संबंध विकसित करें। अपने विचार और भावनाएँ साझा करें और समर्थन देने और प्राप्त करने के लिए खुले रहें। लचीलेपन और भावनात्मक भलाई के लिए सामाजिक समर्थन आवश्यक है।
Practice Mindfulness: सचेतनता का अभ्यास करें:
Incorporate mindfulness practices into your daily routine to create awareness in the present moment and reduce stress. Take a few minutes for yourself every day. Focus on your breathing, engage in a mindfulness activity or find gratitude for your accomplishments to ground yourself and foster a sense of peace of mind. Practice gratitude.
वर्तमान क्षण में जागरूकता पैदा करने और तनाव को कम करने के लिए अपनी दैनिक दिनचर्या में माइंडफुलनेस / सचेतनता का अभ्यास शामिल करें। हर दिन खुद के लिये कुछ मिनट निकालें। अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, सचेतन गतिविधि में संलग्न होने के लिए, या स्वयं को स्थिर करने और मन की शांति की भावना को बढ़ावा देने के लिए, अपनी उपलब्धियो का आभार माने। कृतज्ञता का अभ्यास करे।
Limit Screen Time: स्क्रीन टाइम सीमित करें:
Set limits on your digital devices and social media use. While it can be valuable to stay connected to technology but excessive screen time can contribute to feelings of overwhelm and distraction. Take regular breaks from screens and engage in activities that nourish your mind and soul.
अपने डिजिटल उपकरणों और सोशल मीडिया के उपयोग की सीमाएँ निर्धारित करें। भले ही यह तन्त्रज्ञान से जुड़े रहने के लिए मूल्यवान हो सकता है लेकीन अत्यधिक स्क्रीन पर व्यतित समय, भारीपन और व्याकुलता की भावनाओं में योगदान कर सकता है। स्क्रीन से नियमित ब्रेक लें और उन गतिविधियों में शामिल हों जो आपके मन और आत्मा को पोषण देती हैं।
Seek Professional Doctors Help When Needed: जरूरत पड़ने पर Registered Doctor / डॉक्टर / चिकित्सक की मदद लें:
If you are struggling with persistent sadness, anxiety or other mental health issues don’t hesitate to seek help from a mental health professional and first of all your family doctor/therapist. Therapy, counseling or medication will help you deal with difficult issues/emotions. It will help in developing strategies to cope with the situation. This thing can always be beneficial for you.
यदि आप लगातार उदासी, चिंता या अन्य मानसिक स्वास्थ्य से संघर्ष कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपके पारिवारिक डॉक्टर / चिकित्सक, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सहायता लेने में संकोच न करें। थेरेपी, परामर्श या दवा आपको कठिन समास्याओंसे / भावनाओं से निपटने में मदद करेंगी। परिस्थिति से मुकाबला करने की रणनीति विकसित करने में मदत करेंगी। यह बात आपको हमेशा फायदेमंद हो सकती है।
Practice Gratitude: कृतज्ञता/Thankfulness का अभ्यास करें:
Regularly think on the things you are grateful for, in your life. Develop a mindset of gratitude. Keep a gratitude book/diary. Just take a moment each day to acknowledge the positive aspects of your life. It may change your perspective. You can boost your overall health.
अपने जीवन में जिन चीज़ों के लिए आप आभारी हैं, उन पर नियमित रूप से चिंतन करे। कृतज्ञता की मानसिकता विकसित करें। कृतज्ञता पत्रिका रखे। अपने जीवन के सकारात्मक पहलुओं को स्वीकार करने के लिए, हर दिन बस एक पल निकाले। आपका दृष्टिकोण को बदल सकता है। आपके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है।
Set Realistic Goals: यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करें:
Break tasks into manageable steps/segments and set realistic goals for yourself. Celebrate your achievements. No matter how small is your achievement and most importantly, don’t be sad when things don’t go according to plan. Be kind to yourself. Remember that progress is a journey, not a destination.
कार्यों को प्रबंधनीय चरणों में/खंडो में/segments/टूकडो में विभाजित करें और अपने लिए यथार्थवादी लक्ष्य को निर्धारित करें। अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाएं। चाहे वह आपकी कितनी भी छोटी उपलब्धी क्यों न हो और महत्वपूर्ण बात जब चीजें योजना के अनुसार न हों तो दुखी न हो। अपने स्वयं के प्रति दयालु रहें। याद रखें कि प्रगति एक यात्रा है, मंजिल नहीं।
Be Kind To Yourselves: स्वयं के लिए दयालु रहें:
Treat yourself with the same kindness and compassion that you would treat a friend. Practice self-compassion by accepting your humanity, embracing your imperfections. Definitely keep in mind that it’s okay to ask for help when you need it.
Asking for help is nothing to be ashamed of.
अपने आप से उसी दयालुता और करुणा के साथ व्यवहार करें जो आप किसी मित्र के साथ करते हैं। अपनी मानवता को स्वीकार करके आत्म-करुणा का अभ्यास करें, अपनी अपूर्णता को अपनाये। यह जरूर निश्चित रूप से ध्यान में रखिये की जरूरत पड़ने पर मदद मांगना ठीक है। मदद मांगना, इसमे कोई भी लज्जित होने वाली बात नही है।
Conclusion: निष्कर्ष:
Taking care of your mental health is an ongoing journey. That requires determination, self-awareness, and self-compassion. Incorporate these practical tips into your daily life. You can nurture your mental well-being. You can develop resilience to face life’s challenges. Remember, you deserve to take steps to prioritize your mental health and live a full and balanced life. Always remember the words of Saint Ravidas “Man Changa To Kathoti Me Ganga” Literally Means: “If your mind is healthy then, even your house accommodates the Holy Ganges River.”
In other words, if your mind/body/soul is pure/clean/clear then going for a dip in the Holy Ganges River is not necessary at all.
अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करना एक सतत यात्रा है। जिसके लिए दृढ़ निश्चय, आत्म-जागरूकता और आत्म-करुणा की आवश्यकता होती है। इन व्यावहारिक युक्तियों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करे। आप अपनी मानसिक भलाई का पोषण कर सकते हैं। जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए लचीलापन विकसित कर सकते हैं। याद रखें, आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और एक पूर्ण और संतुलित जीवन जीने के लिए, कदम उठाने के लिये आप पुरे हकदार हैं। दूसरे शब्दों में, यदि आपका मन/शरीर/आत्मा शुद्ध/स्वच्छ/स्पष्ट है तो पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए जाना बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है। संत रविदास के वचन हमेशा याद रखिये “ मन चंगा तो कठौती में गंगा ”